देवता है कोई हम में
न फ़रिश्ता कोई
छू के मत देखना
हर रंग उतर जाता है
मिलने-जुलने का सलीक़ा है ज़रूरी वर्ना
आदमी चंद मुलाक़ातों में मर जाता है
नज़्म
सलीक़ा
निदा फ़ाज़ली
नज़्म
निदा फ़ाज़ली
देवता है कोई हम में
न फ़रिश्ता कोई
छू के मत देखना
हर रंग उतर जाता है
मिलने-जुलने का सलीक़ा है ज़रूरी वर्ना
आदमी चंद मुलाक़ातों में मर जाता है