सुनते हैं कि नस्लों पहले
चीन की बाग़ी शहज़ादी ने
अपनी दुनिया तक जाने के पागल शौक़ में
आँगन की दहलीज़ अलांगी
और गलियाँ शह-राहें नापती
इक फुलवारी तक जा पहुँची
रस्मों के ठेके-दारों ने
जुर्म-ए-तमन्ना की पादाश में हुक्म सुनाया
अब दुनिया में आने वाली हर हवा को
नज़्म
सदियों पीछे
मंसूरा अहमद