बाज़ार में
नक़ली मोतियों की बोहतात है
तो क्या हुआ
तुम सच्चे मोतियों का
भाव न गिराओ
किसी के आँसुओं का
मज़ाक़ न उड़ाओ
ख़्वाह वो
ख़ैर जाने दो
कौन जाने
कब कोई
सच-मुच रो रहा हो
नज़्म
सच्चे मोती
मोहम्मद अाज़म
नज़्म
मोहम्मद अाज़म
बाज़ार में
नक़ली मोतियों की बोहतात है
तो क्या हुआ
तुम सच्चे मोतियों का
भाव न गिराओ
किसी के आँसुओं का
मज़ाक़ न उड़ाओ
ख़्वाह वो
ख़ैर जाने दो
कौन जाने
कब कोई
सच-मुच रो रहा हो