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सानेहा | शाही शायरी
saneha

नज़्म

सानेहा

ख़दीजा ख़ान

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ये यादें
ये बातें

ये आधी सी मुलाक़ातें
बहुत रूहानियत है इन में

एक मासूमियत है इन में
ये लम्हा-ए-उलफ़त

आया है बा'द मुद्दत
बस दुआ है यही

ये खो ना जाए कहीं
रहे सदा सदा

ये वफ़ा
ये अदा

ये सदा