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रोटी | शाही शायरी
roTi

नज़्म

रोटी

मोहम्मद अल्वी

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पड़ोसी की बकरी ने
फिर घर में घुस कर

कोई चीज़ खा ली
बीवी ने सर पे क़यामत उठा ली

मुन्ने को
रोने में जैसे मज़ा आ रहा है

बराबर वो रोए चला जा रहा है
फ़क़ीर अब भी चौखट से चिपका हुआ है

वही रोज़ वाली दुआ दे रहा है
रोटी के जलने की बू

और अम्माँ की चीख़ों से
घर भर गया है

पिंजरे में चकराते मिठ्ठू की आवाज़
'रोटी दो

बी-बी जी रोटी दो'
इस शोर में खो गई है

रोटी तवे पर भसम हो गई है