मैं जानना चाहता हूँ
जब रोम जल रहा था
तब वहाँ कौन कौन लोग मौजूद थे
किस शख़्स के कान बाँसुरी की आवाज़ पर लगे हुए थे
और किस शख़्स की आँखें
आग की रौशनी में चमक रही थीं
मैं जानना चाहता हूँ
कौन लोग नेरो की नय-नवाज़ी की दाद दे रहे थे
और कौन आग के शो'लों को हवा
कितने आराम-देह घर इस आग की नज़्र हो गए
कितनी आली-शान इमारतें
राख का ढेर बन गईं
कितने लोगों की हड्डियाँ
सुरमे की तरह बिखर गईं
कितने दिलकश बदन
मोम-बत्ती की तरह पिघल गए
कितने रज़मिया ड्रामे
कितने अलमिया नग़्मे
मायूसी और मोहब्बत के कितने गीत
दिल आवेज़ी और उम्मीद के कितने नक़्श
नीस्त-ओ-नाबूद हो गए
आग की वहशत से घबरा कर
कितने ख़्वाब सफ़्हा-ए-हस्ती से मिट गए
रोम की इस तबाही का रिकॉर्ड
मैं चाहता हूँ मुझे मिल जाए
या कहीं से उन लोगों इमारतों
और चीज़ों की फ़िहरिस्त ही दस्तियाब हो जाए
जो हमेशा के लिए इस आग में तलफ़ हो गईं
या फिर इतनी सी बात मा'लूम हो जाए
जब ये आग लगी तो
कौन कौन नेरो के साथ था
और कौन कौन रोम के

नज़्म
रोम
ज़ीशान साहिल