काँपते हाथ मिरे
एक दुआ को उट्ठे
ऐ ख़ुदा
आज मिरे ख़्वाब की
ता'बीर मिले या न मिले
मो'जिज़े हों कि न हों
फिर बशारत नई सुब्हों की
मिले या न मिले
ऐ ख़ुदा
आज कोई अच्छी ख़बर
शहर-आशोब से
इस शहर-ए-बुताँ तक
पहुँचे
नज़्म
रंग-ए-बहार
क़ैसर अब्बास
नज़्म
क़ैसर अब्बास
काँपते हाथ मिरे
एक दुआ को उट्ठे
ऐ ख़ुदा
आज मिरे ख़्वाब की
ता'बीर मिले या न मिले
मो'जिज़े हों कि न हों
फिर बशारत नई सुब्हों की
मिले या न मिले
ऐ ख़ुदा
आज कोई अच्छी ख़बर
शहर-आशोब से
इस शहर-ए-बुताँ तक
पहुँचे