जाने किस जंगल से आ कर
भेड़ियों गीदड़ों, लोमड़ियों ने
तेरी हुदूद में अपने ठिकाने ढूँड लिए हैं
लेकिन तेरे घर में
कली कली को चूमता
तितली तितली आँख-मिचोली खेलता
मेमनों और ख़रगोशों को हम-राह लिए
इक नन्हा सा बच्चा
तुझ को अब भी शहर बनाए हुए है
नज़्म
रखवाला
नाहीद क़ासमी