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रहगुज़र के बा'द | शाही शायरी
rahguzar ke baad

नज़्म

रहगुज़र के बा'द

महबूब ख़िज़ां

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मैं सोचता हूँ कि इस ख़ैर-ओ-शर के बा'द है क्या
फ़ज़ा तमाम नज़र है नज़र के बा'द है क्या

शब इंतिज़ार-ए-सहर है सहर के बा'द है क्या
दुआ बरा-ए-असर है असर के बा'द है क्या

ये रहगुज़र है तो इस रहगुज़र के बा'द है क्या