शीरीं निर्मल झरने जैसी
ठंडी ताज़ा हवा के ऐसी
रिम-झिम और बरखा की तरह तू
सूरज और चंदा सी सख़ी है
जलती धूप में बादल है तू
रब के प्यार की छागल है तू
हाँ माँ बिल्कुल ऐसी है तू
तो सीता तो मरियम है माँ
राबिया और सफ़िया है
तू है यशोधा तू है हलीमा
ज़ैनब तू है फ़ातिमा है तू
पार्वती और देवकी है
आमना और हव्वा है तू
ये धरती ये दुनिया तुझ से
दुनिया की सब रौनक़ तुझ से
तू दुनिया की मालिक है
ये दुनिया तेरी है माँ
तू ने हम को क्या क्या बख़्शे
पैर पयम्बर भाई दोस्त
और फूलों सी बहना दी
हर सुख और हर ग़म की साथी
बिल्कुल अपनी ही जैसी
महबूबा भी तू ने दी
तू सच-मुच देवी है माँ
सारे रिश्ते नाते तुझ से
रिश्तों की जननी है तू
हाँ माँ बिल्कुल ऐसी है तू
तू है करीम और तू है हलीम
ख़ालिक़ तू है राज़िक़ है तू
सत्तारी ग़फ़्फ़ारी तुझ में
रहमत और अज़्मत की मूरत
रब के सारे गुन हैं तुझ में
माँ बिल्कुल तू रब जैसी है
या शायद रब तेरे जैसा
क्यूँ कि माँ अब रब भी तो
तेरी तरह मजबूर बहुत है
अपनों के ज़ख़्मों से वो भी
लगता है कि चोर बहुत है
माँ बिल्कुल तू रब जैसी है
या शायद रब तेरे जैसा
नज़्म
रब भी तैरे जैसा है माँ
अबु बक्र अब्बाद