फ़िराक़ के लम्हे
दम तोड़ते
आग़ोश में
यादें
साँस लेतीं
एहसासों में
और मुसलसल
धड़कता रहता है
कोई
सीने में
नज़्म
क़ुर्बत
ख़दीजा ख़ान
नज़्म
ख़दीजा ख़ान
फ़िराक़ के लम्हे
दम तोड़ते
आग़ोश में
यादें
साँस लेतीं
एहसासों में
और मुसलसल
धड़कता रहता है
कोई
सीने में