इक पेड़ घना है
मेरे घर के आँगन में
जिस की छाँव में सुस्ताने की ख़्वाहिश है
लेकिन ये मेरी क़िस्मत
पेड़ की सारी शाख़ें तो
मेरे घर की दीवारों से बाहर हैं
और आँगन में धूप बरसती रहती है
नज़्म
क़िस्मत
अंबरीन हसीब अंबर
नज़्म
अंबरीन हसीब अंबर
इक पेड़ घना है
मेरे घर के आँगन में
जिस की छाँव में सुस्ताने की ख़्वाहिश है
लेकिन ये मेरी क़िस्मत
पेड़ की सारी शाख़ें तो
मेरे घर की दीवारों से बाहर हैं
और आँगन में धूप बरसती रहती है