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क़रीब-तर होता है सिर्फ़ अँधेरा ही | शाही शायरी
qarib-tar hota hai sirf andhera hi

नज़्म

क़रीब-तर होता है सिर्फ़ अँधेरा ही

जयंत परमार

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अपने क़रीब
क़रीब-तर होता है

सिर्फ़ अँधेरा ही
बंद आँखों से देखो तो भी

साफ़ दिखाई देता है