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क़ातिल | शाही शायरी
qatil

नज़्म

क़ातिल

रईस फ़रोग़

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आज भी
उस के दोनों हाथ

लरज़ रहे थे
और

हर उँगली के सिरे पर
एक सितारा चमक रहा था