तेरी हँसती हुई आँखों में
रंग बहार के रक़्साँ देखे
तेरी ज़ुल्फ़ों की लहरों में
घोर अँधेरे हैराँ देखे
हर मेहराब में तेरे बदन की
सौ सौ दीप फ़रोज़ाँ देखे
तू जो हँसे तो कौन-ओ-मकाँ में
सात सुरों की बरखा बरसे
और इस बरखा में दिल मेरा
जितना भीगे उतना तरसे
नज़्म
प्यास
मुबीन मिर्ज़ा