कारगर हो गई अहबाब की तदबीर अब के
माँग ली आप ही दीवाने ने ज़ंजीर अब के
जिस ने हर दाम में आने में तकल्लुफ़ बरता
ले उड़ी है उसे ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर अब के
जो सदा हुस्न की अक़्लीम में मुम्ताज़ रहे
दिल के आईने में उतरी है वो तस्वीर अब के
ख़्वाब ही ख़्वाब जवानी का मुक़द्दर थे कभी
ख़्वाब से बढ़ के गले मिल गई ता'बीर अब के
अजनबी ख़ुश हुए अपनों ने दुआएँ माँगीं
इस सलीक़े से सँवारी गई तक़दीर अब के
यार का जश्न है और प्यार का तोहफ़ा हैं ये शे'र
ख़ुद-ब-ख़ुद एक दुआ बन गई तहरीर अब के
नज़्म
प्यार का तोहफ़ा
साहिर लुधियानवी