नन्ही मुन्नी दूध की ख़ुशबू लुंढाती गुढ्लियों चलती मोहब्बत बाँटती
तुत्लाहटों का क़ाफ़िला-सालार है वो
रस से भारी होंट चंदन सी महकती ज़ुल्फ़ अमृत से भरे
उल्टे कटोरों लजलजी लज़्ज़त से बोझल टहनियों का ख़ंदक़ों क़ोसों
तिकोनों का अलम-बरदार है वो
झुकती कमरों बर्फ़ से बालों बदन के दुखते जोड़ों जन्नती पैरों
की ख़ातिर सूरत-ए-दस्तार है वो
सुब्ह-ए-तख़्लीक़-ओ-तसव्वुर है जवानी की दो-पहरी
विसाल-ए-ज़ीस्त का त्यौहार है वो
प्यार है वो
नज़्म
प्यार है वो
बिमल कृष्ण अश्क