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jinhen main DhunDhta tha aasmanon mein zaminon mein wo nikle mere zulmat-KHana-e-dil ke makinon mein
नज़्म
अली साहिल
ख़ुदा को लिखे गए ख़त में मैं ने अपने दुखों की तफ़्सील नहीं लिखी क्यूँ-कि ख़ुदा हर शय से बे-नियाज़ दुनिया की बिसात पर नित-नए खेल खेल रहा है और तन्हाई का दुख झेल रहा है