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पोस्टर | शाही शायरी
poster

नज़्म

पोस्टर

साक़ी फ़ारुक़ी

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याद की दीवार है
दीवार पर एक पोस्टर

और पोस्टर में कामनी...
सब्ज़ आँखें

बे-कराँ आँखें तिरी
कल्बा-ए-निस्यान में

और बर्फ़ के तूफ़ान में
धुँदली हुईं, ख़ाली हुईं

ये फ़ना के गर्म बोसों के निशाँ
जल गया मिट्टी का रस

राएगाँ सब राएगाँ