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फूलों से सजा इक सेज दिखा | शाही शायरी
phulon se saja ek sej dikha

नज़्म

फूलों से सजा इक सेज दिखा

असरा रिज़वी

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चमकीला सा भड़कीला सा
अतराफ़ में जिस के जनता थी

स्टेज पे कुछ सजन थे खड़े
कुछ झंडे थे कुछ नारे थे

कुछ लम्बी लम्बी बातें थीं
कुछ भारी भारी वादे थे

उन बातों का उन वा'दों का
बस हम से इतना रिश्ता है

के वोट उन्हें हम दें दें सब
सरकार उन्हीं की चुन लें हम

राज उन्हीं का चलने दें
हर सम्त उन्हीं का झंडा हो

अधिकार उन्हीं का चलता हो
जब जनता उन को चुनती है

और उन के हक़ में लड़ती है
तब राष्ट्र उन का बदला है

उन लम्बी लम्बी बातों का
उन भारी भारी वा'दों का

उन्वान हुआ कुछ ऐसे है
ई-वी-एम भी मेरा है

सब नेता नगरी मेरी है
अब कोई नहीं कुछ बोलेगा

और कोई नहीं मुँह खोलेगा