उस के आगे सन्नाटा है
वो काला है
उस के पीछे इक चेहरा है
वो प्यारा है
वो अपनी पीठ पे अपनी आँखें बाँधे जाता है
एक पाँव आगे की जानिब
दूसरा पीछे जाता है
नज़्म
पेश-ओ-पस
फ़रहत एहसास
नज़्म
फ़रहत एहसास
उस के आगे सन्नाटा है
वो काला है
उस के पीछे इक चेहरा है
वो प्यारा है
वो अपनी पीठ पे अपनी आँखें बाँधे जाता है
एक पाँव आगे की जानिब
दूसरा पीछे जाता है