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परिंदा | शाही शायरी
parinda

नज़्म

परिंदा

सीमा ग़ज़ल

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बहुत सफ़्फ़ाक हो तुम भी
मोहब्बत ऐसे करते हो

कि जैसे घर के पिंजरे में
परिंदा पाल रक्खा हो