तेरी तस्वीर बनाते हुए
मैं ने नज़्म मुकम्मल कर ली है
और ख़ुद को अधूरा छोड़ दिया है
तुम चाहो
तो मुझे मुकम्मल कर सकती हो
अपनी आँखों में काजल लगाते हुए
अपने बाल सँवारते हुए
या उस वक़्त
जब कमरे में कोई न हो
और आईना
तुम्हारे हक़ में बयान देने से इंकार कर दे