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पहला ख़ुदा | शाही शायरी
pahla KHuda

नज़्म

पहला ख़ुदा

मोहम्मद अल्वी

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अंधेरा था
चारों तरफ़ मौत

मंडला रही थी
निगाहों में

मायूसियाँ बस गई थीं
दिलों में

कई ख़ौफ़ घर कर गए थे
तो उस वक़्त

हम ने
निहायत अक़ीदत से

पहले ख़ुदा को पुकारा
वो पहला ख़ुदा जिस ने हम को

अंधेरों से बाहर निकाला
उजालों की नेमत अता की

मगर हम उसे भूल बैठे
कहाँ है

वो पहला ख़ुदा अब कहाँ है
चलो उस को ढूँडें

हमें फिर
ज़रूरत है पहले ख़ुदा की