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पहेली | शाही शायरी
paheli

नज़्म

पहेली

साइमा इसमा

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एक समुंदर
उस में रक्खे चंद जज़ीरे

बीच में जिन के
दूरी की नीलाहट रक़्साँ

रब्त-ए-बाहम बस पानी की अंधी लहरें
या तूफ़ानी हवा के झक्कड़

सुना है एक जज़ीरे पर कोह-ए-जूदी है
हम औलाद-ए-नूह तो हैं पर

नाव बनाने का सारा फ़न भूल चुके हैं