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नो मैंस लैंड | शाही शायरी
no mans land

नज़्म

नो मैंस लैंड

ख़ालिद कर्रार

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मुझे बता कर
कि मेरी सम्त-ए-सफ़र कहाँ है

कई ख़ज़ानों के
बे-निशान नक़्शे

मुझे थमा कर
कहा था उस ने कि सातवें दर से और आगे

तुम्हारी ख़ातिर
मिरा वो बाब-ए-बक़ा खुला है

मगर
वहाँ पर तमाम दर वा थे मेरी ख़ातिर

वो सातवाँ दर खुला नहीं था
मगर वहाँ पर

कोई भी राज़-ए-बक़ा नहीं था
तमाम अज्साम थे सलामत

कोई भी ज़िंदा बचा नहीं था
कोई भी मेरे सिवा नहीं था

वहाँ भी कोई ख़ुदा नहीं था