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नेमुल-बदल | शाही शायरी
nemul-badal

नज़्म

नेमुल-बदल

मोहसिन भोपाली

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अच्छा तो ये तीसरी फोटो वाली
सौ में आप को जचती है

आठ बजे... कल रात... यहीं ले आऊँगी
मैं शर्मिंदा हूँ

वो कलमोही लम्बी कार में
कोह-ए-मरी को चली गई

बाबू जी गर बुरा न मानें तो
इक बात कहूँ

मैं हाज़िर हूँ