अच्छा तो ये तीसरी फोटो वाली
सौ में आप को जचती है
आठ बजे... कल रात... यहीं ले आऊँगी
मैं शर्मिंदा हूँ
वो कलमोही लम्बी कार में
कोह-ए-मरी को चली गई
बाबू जी गर बुरा न मानें तो
इक बात कहूँ
मैं हाज़िर हूँ

नज़्म
नेमुल-बदल
मोहसिन भोपाली
नज़्म
मोहसिन भोपाली
अच्छा तो ये तीसरी फोटो वाली
सौ में आप को जचती है
आठ बजे... कल रात... यहीं ले आऊँगी
मैं शर्मिंदा हूँ
वो कलमोही लम्बी कार में
कोह-ए-मरी को चली गई
बाबू जी गर बुरा न मानें तो
इक बात कहूँ
मैं हाज़िर हूँ