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नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

ज़ीशान साहिल

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मैं भी हूँ इस जहाँ में
तुम भी हो इस जहाँ में

लेकिन वो एक लम्हा
आया नहीं अभी तक

जब हम किसी वज्ह से
इक दूसरे की जानिब

दीवाना वार देखें
हर रोज़ ज़िंदगी से

आँखें चुरा के गुज़रें
हर रोज़ ज़िंदगी को

हम बार बार देखें