EN اردو
नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

ज़ीशान साहिल

;

ऐ ख़ुदा ऐ लम-यज़ल
हर नज़र में ख़्वाब रख

क्या ज़मीन क्या फ़लक
हद-ए-आब-ओ-ताब रख

इंतिशार-ए-हुस्न में
हुस्न-ए-इंतिख़ाब रख

ख़ार-ओ-ख़स समेट ले
हर तरफ़ गुलाब रख

दिल के ताक़चे न देख
जो है बे-हिसाब रख

अपनी बारगाह में
सब को बारयाब रख