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नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

ज़ीशान साहिल

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बहुत थोड़े से दिनों के लिए
हमें ख़ुशी दे दी जाए

या सड़क के दोनों जानिब
साया-दार दरख़्तों का साया

बहुत थोड़े से दिनों के लिए
तेज़ धूप हम से वापस ले ली जाए

या दोनों पैरों में पहनने के लिए
सियाह मख़मल के बने जूते

दे दिए जाएँ
बहुत थोड़े से दिनों के लिए

हम से पत्थरों से बने रास्ते पर
चलने के लिए न कहा जाए

शाम के अख़बार के साथ
किसी भी रंग के दो फूलों

और एक रुमाल
बहुत थोड़े से दिनों के लिए

हमें किसी भी तरह की
कोई ख़बर न दी जाए

हमारी आँखों में
आँखों डाल के देखा जाए

हमें भेड़ियों के हवाले न किया
बहुत थोड़े से दिनों के लिए

हमें एक कश्ती एक चाँद
या एक समुंदर से ज़ियादा

अहमियत नहीं दी जाए