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नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

ज़ीशान साहिल

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रात इक सितारे ने
तुम को देर तक देखा

और समझ नहीं पाया
झील जैसी आँखों में

बे-वजह चमक क्यूँ है
इन सियाह ज़ुल्फ़ों में

इस क़द्र महक क्यूँ है
तुम को देखने के ब'अद

दिल में इक कसक क्यूँ है