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नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

ज़ीशान साहिल

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तुम अगर यहाँ होतीं
हम किसी सवारी में

आसमान तक जाते
नील-गूँ सितारों पर

बादलों के रस्ते से
हर मकान तक जाते

साथ में हवाओं के
बादबान तक जाते

कश्तियों में सो जाते
ख़्वाब बन के खो जाते

एक याद हो जाते