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नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

शबनम अशाई

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तोहफ़ा में मिली पेंटिंग में
चारों मौसम

सुनहरी रंग से खींचे गए हैं
और यूँही मिली ज़िंदगी में

सिर्फ़ एक मौसम
आँसुओं के रंग से

खींचा गया है
दोनों क़ैद हैं

एक कमरे में
पेंटिंग सालिम है और

ज़िंदगी से पूछती है
तेरे बाक़ी मौसम कहाँ हैं

ज़िंदगी पेंटिंग से कहती है
सुनो मुझे सोचो नहीं

उलझ जाओगी
मैं सोचने की नहीं

जीने की चीज़ हूँ
पेंटिंग ख़ामोश हो के

दीवार पे लटक जाती है