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नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

शबनम अशाई

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वो लोगों को रोता देख कर
हँस पड़ती है

और जब
उसे हँसना होता है

किसी को भी रुला देती है
आज उस ने

मुझे रुला दिया
जब मेरी आँखें

रोते रोते सूज गईं
तो कहने लगी

अब मैं जी उठी हूँ
ताज़ा हो गई हूँ

मैं लरज़ गई
अल्लाह तेरे बंदे

कैसी कैसी ग़िज़ा लेते हैं
ख़ुद को ज़िंदा रखने के लिए