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नज़्म | शाही शायरी
nazm

नज़्म

नज़्म

सईदुद्दीन

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मेरी दुनिया
इतनी छोटी है

कि अगर पैर फैलाऊँ
तो मेरे पैर

उफ़ुक़ से बाहर चले जाएँ
बहुत कोशिश के बावजूद

मुझे वुसअ'त न मिल सकी
मैं सो गया

ख़्वाबों ने मेरे उफ़ुक़ दूर दूर तक फैला दिए
आसमान को बहुत ऊँचा

और ज़मीन को बहुत कुशादा कर दिया
जब मेरी आँख खुली

मेरी टाँगें कटी हुई थीं