मैं और आदम
वहाँ पुराने पेड़ के नीचे
रोज़ इकट्ठा होते थे
वो लकड़ी से
पहिए और शहतीर बनाया करता था
मैं पेड़ों और फूलों से
रंग कशीद किया करती थी
फिर हम दोनों ने मिल कर
इक पेशा ईजाद किया
और एक क़बीला जनम दिया
जब से अब तक
हम को एक नसब-नामे की ज़रूरत है
नज़्म
नसब-नामा
इशरत आफ़रीं