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नफ़रत और मोहब्बत | शाही शायरी
nafrat aur mohabbat

नज़्म

नफ़रत और मोहब्बत

शीरीं अहमद

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तुम से नफ़रत करना चाहती हूँ
मगर मोहब्बत के साए पर

नफ़रत की एक भी किरन
हावी नहीं हो पाती

और न चाहते हुए भी
इन पर

नफ़रत की निगाह है
जो कभी बहुत क़रीब थे

बाज़ औक़ात
मोहब्बत और नफ़रत

हमारी मुट्ठियों में पानी की मानिंद होती है