तुम से नफ़रत करना चाहती हूँ
मगर मोहब्बत के साए पर
नफ़रत की एक भी किरन
हावी नहीं हो पाती
और न चाहते हुए भी
इन पर
नफ़रत की निगाह है
जो कभी बहुत क़रीब थे
बाज़ औक़ात
मोहब्बत और नफ़रत
हमारी मुट्ठियों में पानी की मानिंद होती है
नज़्म
नफ़रत और मोहब्बत
शीरीं अहमद