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नानी-अमाँ की वफ़ात पर एक नज़्म | शाही शायरी
nani-aman ki wafat par ek nazm

नज़्म

नानी-अमाँ की वफ़ात पर एक नज़्म

अब्दुल अहद साज़

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आज बचपन को दफ़्न कर आए
मोहनी झुर्रियाँ सुबुक आँखें

मेहरबाँ शफ़क़तों से पुर चेहरा
थपकियाँ देते हाथ नर्म आग़ोश

चाहतें देख-भाल प्यार दुलार
सारे कुम्बे की फ़िक्र सब का ख़याल

राब्ते रिश्ते-दारियां नाते
ख़ातिरें वज़्अ-दारियां मेहमाँ

मर्तबे हैसियत हिसाब-निसाब
नज़म-ओ-तर्तीब घर के इख़राजात

मौत मय्यत ब्याह पैदाइश
ताज़ियत तहनियत के चाल-चलन

छुट्टी आशूरा ईद और बरात
हर बड़े छोटे दिन का पास-अो-लिहाज़

रोज़े नफ़्लें वज़ीफ़े तस्बीहें
सदक़ा मिन्नत मुराद पीर-फ़क़ीर

ख़ैर-ख़ैरात बख़्शिशें नज़रें
लाग-लग लेन-देन मेल-मिलाप

पूछ-गछ रख-रखाव रीत-रिवाज
रौनक़ें ख़ुश-कलामियां आदाब

रात क़िस्से कहानियाँ चुहलें
मेज़ अलमारी पानदान पलंग

ज़ाइक़े रंग ख़ुशबुएँ चेहरे
इन मोहल्लों का ख़ुशनुमा माहौल

इन घरों की रिवायती तहज़ीब
आज इक दौर जैसे डूब गया

आज तिफ़्ली का साथ छूट गया
आज बचपन को दफ़्न कर आए