EN اردو
न सताइश की तमन्ना | शाही शायरी
na sataish ki tamanna

नज़्म

न सताइश की तमन्ना

हमीद अलमास

;

निदा आई
अम्बोह-ए-शैदाइयाँ

नाज़नीनाँन-ए-शहर-ए-तख़य्युल
ग़ज़ालान-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र

ग़म-गुसारान-ए-दार-ओ-सलीब-ओ-रसन
दैर से अक़ीदत की नायाब सौग़ात ले कर

दर-ए-गुम्बद-ए-फ़न पे सज्दा-कुनाँ हैं
पए-दीदन-ए-मंज़र-ए-शाद-कामाँ

बड़ी तमकनत से उठा
उठ के मैं ने

जो देखा तो हद-ए-नज़र तक फ़रोकश
लहू की लकीरों का इक कारवाँ था

कभी जो रग-ओ-पै में मेरी रवाँ था