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मुरव्वत | शाही शायरी
murawwat

नज़्म

मुरव्वत

ख़दीजा ख़ान

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शब तवील थी
पर कट गई

ना-मुराद वक़्त
थोड़ी सी मुरव्वत कर गया

जीने के लिए
चंद हसीन लम्हे

तारीकियों में
मुनव्वर कर गया