तेरे लम्स को
मेरी उँगलियाँ निगल गई
तेरी आँखों का मेरे होंटों को छूना
अभी तक काँप रहा है ज़ेहन में कही
नज़्म
मुलाक़ात
वर्षा गोरछिया
नज़्म
वर्षा गोरछिया
तेरे लम्स को
मेरी उँगलियाँ निगल गई
तेरी आँखों का मेरे होंटों को छूना
अभी तक काँप रहा है ज़ेहन में कही