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मुफ़ाहमत | शाही शायरी
mufahamat

नज़्म

मुफ़ाहमत

शाहीन मुफ़्ती

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हम कि उर्यां बहुत हैं
तमाशा न बन

अपनी ज़िद छोड़ दे
मैं तुझे ओढ़ लूँ

तू मुझे ओढ़ ले