मोहब्बतों का ख़याल रखना
कहीं न ऐसा हो बे-ध्यानी में
तुम हथेली को खोल डालो
हवाएँ साज़िश पे आन उतरीं
तो ख़ुश्क पत्तों सा हाल होगा
गुलाब-रुत का ज़वाल होगा
मोहब्बतों का ख़याल रखना
नज़्म
मोहब्बतों का ख़याल रखना
फ़ाख़िरा बतूल
नज़्म
फ़ाख़िरा बतूल
मोहब्बतों का ख़याल रखना
कहीं न ऐसा हो बे-ध्यानी में
तुम हथेली को खोल डालो
हवाएँ साज़िश पे आन उतरीं
तो ख़ुश्क पत्तों सा हाल होगा
गुलाब-रुत का ज़वाल होगा
मोहब्बतों का ख़याल रखना