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मोहब्बत जीत सकती थी | शाही शायरी
mohabbat jit sakti thi

नज़्म

मोहब्बत जीत सकती थी

नईम जर्रार अहमद

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किसी के फ़र्ज़ करने से
अगर फ़ितरत बदल सकती

तो फिर शायद
मोहब्बत जीत सकती थी