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मोहब्बत | शाही शायरी
mohabbat

नज़्म

मोहब्बत

अफ़रोज़ आलम

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एहसास
अपना-पन

एक दूसरे को समझने की कोशिश
राज़दार पर यक़ीं

एक ख़ामोश मोहब्बत
जो सीने में पल कर

जवान होती है
ज़िंदगी के

आदाब सिखाती है
जीने का

हौसला देती है