सुनहरी दोपहरों रुपहली रुतों
मैं सूरज-मुखी के शगूफ़ों के पास
चनारों से क़द-आवर सितारों से नैन
ज़र-अफ़्शाँ बदन ज़ाफ़रानी लिबास
हसीन गोरियाँ गुनगुनाती फिरें
मटकती फिरें डगमगाती फिरें
कड़ी धूप में फ़ाश-ए-ज़र से तराशी हुई पिंडलियाँ
लहकती फिरें थरथराती फिरें
सजल रास्तों से गुज़र जाएँ ये
नगीनों-भरे आबशारों की तरह
ज़मानों के दिल में उतर जाएँ ये
लजीली कटीली कटारों की तरह
सुनहरी दोपहरों को ठंडक अता करने वाले ख़यालों के जादू जगाती फिरें
मटकती फिरें डगमगाती फिरें
नज़्म
मॉडर्न लड़कियाँ
मजीद अमजद