मेरे ख़यालों
का एक तिनका
तुम्हारी
आँखों में
गिर गया है
बुरा ना मानो
अगर
जो तुम
तो
क़रीब आऊँ
तुम्हारी आँखों से
मुझ को मिसरे निकालना है
नज़्म
मिसरे
सिराज फ़ैसल ख़ान
नज़्म
सिराज फ़ैसल ख़ान
मेरे ख़यालों
का एक तिनका
तुम्हारी
आँखों में
गिर गया है
बुरा ना मानो
अगर
जो तुम
तो
क़रीब आऊँ
तुम्हारी आँखों से
मुझ को मिसरे निकालना है