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मिसरे | शाही शायरी
misre

नज़्म

मिसरे

सिराज फ़ैसल ख़ान

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मेरे ख़यालों
का एक तिनका

तुम्हारी
आँखों में

गिर गया है
बुरा ना मानो

अगर
जो तुम

तो
क़रीब आऊँ

तुम्हारी आँखों से
मुझ को मिसरे निकालना है