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मिरी उदासी का ज़र्द मौसम | शाही शायरी
meri udasi ka zard mausam

नज़्म

मिरी उदासी का ज़र्द मौसम

मोहसिन नक़वी

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मिरी उदासी का ज़र्द मौसम
अगर किसी दिन

मिरी बुझी आँख के किनारे
भिगो भिगो कर

अना के पाताल की किसी तह में
एक पल को ठहर गया तो

मुझे यक़ीं है
कि टूटते दिल में ख़्वाहिशों का

कोई छनाका
मिरा बदन भी न सुन ले