मिरी उदासी का ज़र्द मौसम
अगर किसी दिन
मिरी बुझी आँख के किनारे
भिगो भिगो कर
अना के पाताल की किसी तह में
एक पल को ठहर गया तो
मुझे यक़ीं है
कि टूटते दिल में ख़्वाहिशों का
कोई छनाका
मिरा बदन भी न सुन ले
नज़्म
मिरी उदासी का ज़र्द मौसम
मोहसिन नक़वी