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मिलन की रात | शाही शायरी
milan ki raat

नज़्म

मिलन की रात

मुनीर नियाज़ी

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ऐ दोशीज़ा! मत घबरा
अब सूरज डूबने वाला है

सूरज डूब के एक अँधेरी काली रात को लाएगा
लाखों अन-होनी बातों का मेला ध्यान में लाएगा

फिर बादल घिर कर आएँगे
गरज गरज कर चमक चमक कर तेरा जी दहलाएँगे

बरखा के उस सन्नाटे में मुकुट सजाए
इक मतवाला आएगा

साथ तुझे ले जाएगा