ऐ दोशीज़ा! मत घबरा
अब सूरज डूबने वाला है
सूरज डूब के एक अँधेरी काली रात को लाएगा
लाखों अन-होनी बातों का मेला ध्यान में लाएगा
फिर बादल घिर कर आएँगे
गरज गरज कर चमक चमक कर तेरा जी दहलाएँगे
बरखा के उस सन्नाटे में मुकुट सजाए
इक मतवाला आएगा
साथ तुझे ले जाएगा
नज़्म
मिलन की रात
मुनीर नियाज़ी