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मेरी इक नज़्म | शाही शायरी
meri ek nazm

नज़्म

मेरी इक नज़्म

मोहसिन आफ़ताब केलापुरी

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मेरी इक नज़्म जो जन्मी है अभी
ज़ेहन की कोख से रोते रोते

जिस को काग़ज़ पे सुलाया है बड़ी मुश्किल से
हाँ

वही नज़्म मिरी
प्यारी सी भोली-भाली

आओ
आ कर उसे अच्छा सा कोई नाम तो दो

ताकि दुनिया में उसे भी कोई पहचान मिले